Welcome Today, your daily dose of insights and inspiration. In Vasudha Today Episode 22th February 2025, we bring you exciting updates, thought-provoking discussions, and a look at the trends shaping the day. Stay tuned as we dive into the stories that matter most to you!
Vasudha Today Episode 22th February 2025
वसुंधरा की आशा
कहानी की शुरुआत वसुंधरा से होती है, जो चाहती है कि देवांश और चंद्रिका उसके शादी के भोज में भोजन करें। वह अपने मंगलसूत्र पर सिंदूर लगाती है। तभी गुलकी, हनुमंत को देखकर भौंकने लगती है। वसुंधरा जल्दबाजी में अपना मंगलसूत्र छुपा लेती है और पीछे मुड़ जाती है।
भोजन को लेकर परिवार में चिंता
मकान में, सावित्री, प्रभात से अनुरोध करती है कि वह कम से कम आज भोजन कर ले। लेकिन प्रभात मना कर देता है और कहता है कि जब तक चंद्रिका भोजन नहीं करेगी, तब तक कोई खाना नहीं खाएगा। वह कहता है कि भोजन को गरीबों में बाँट दिया जाए। देवांश बताता है कि चंद्रिका तीन दिनों से भूखी है और इससे उसकी तबीयत खराब हो सकती है।
दिव्या की एंट्री
उसी समय, दिव्या वहाँ आती है। देवांश, प्रभात से उसका परिचय कराता है और बताता है कि दिव्या स्कूल प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। अविनाश भी वहाँ आता है और दिव्या को देखता है। चंद्रिका वहाँ आती है और देवांश को अनदेखा कर देती है। वह प्रभात की आरती उतारती है और सबको तिलक लगाती है, लेकिन देवांश को नहीं।
नया प्रोजेक्ट लीडर
देवांश, चंद्रिका को दिव्या से मिलवाता है। चंद्रिका कहती है कि काम के दौरान उसे ‘चंद्रिका मैम’ बुलाया जाना चाहिए। फिर, वह अविनाश से कहती है कि वह इस प्रोजेक्ट को संभाले, लेकिन अविनाश कहता है कि यह देवांश का आइडिया था और उसे ज्यादा अनुभव है। देवांश कहता है कि अब से अविनाश ही प्रोजेक्ट लीडर होगा।
शादी के भोज की तैयारी
चंद्रिका, प्रभात को बताती है कि आज वसुंधरा और माधव की शादी का भोज आयोजित किया जा रहा है। वह हनुमंत और नवविवाहित जोड़े को भोज में आमंत्रित करने के लिए कहती है।
दिव्या की परीक्षा
बाद में, दिव्या पूछती है कि उसे काम कब शुरू करना चाहिए। देवांश कहता है कि अब उसे अविनाश से संपर्क करना होगा, क्योंकि वह नया प्रोजेक्ट लीडर है। जब दिव्या बाहर जाती है, तो अविनाश उसे रोकता है। दिव्या पूछती है कि क्या वह उसका पर्स चुराने आया है? अविनाश उसकी हिम्मत की तारीफ करता है और कहता है कि दिव्या ने अभी तक इंटरव्यू नहीं दिया है, इसलिए वह उसकी व्यवहारिक क्षमता परखना चाहता है। वह उसे शादी के भोज की व्यवस्था करने का कार्य देता है। दिव्या इस चुनौती को स्वीकार कर लेती है।
परिवार की राय
रसोई में, सावित्री वसुंधरा से पूछती है कि उसने शादी के भोज के लिए हाँ क्यों कहा। वह कहती है कि यह गलत है। वसुंधरा जवाब देती है कि उसे पता है कि वह माधव के साथ गलत कर रही है, लेकिन चौहान परिवार भूखा है। सावित्री कहती है कि यह भोज शादी के रिवाजों की शुरुआत है। वसुंधरा कहती है कि उसकी प्राथमिकता चंद्रिका और देवांश हैं।
सरिका और करिश्मा की प्रतिक्रिया
सरिका और करिश्मा दिव्या को रंगोली बनाते हुए देखती हैं और आश्चर्यचकित हो जाती हैं। करिश्मा पूछती है कि दिव्या कौन है। सरिका कहती है कि वह शायद एक नौकरानी होगी। करिश्मा दिव्या को पानी लाने का आदेश देती है, और दिव्या उसे पानी दे देती है। करिश्मा पूछती है कि यहाँ क्या हो रहा है। दिव्या जवाब देती है कि वसुंधरा के शादी के भोज की तैयारी हो रही है, और यह चंद्रिका के आदेश पर हो रहा है।
निमंत्रण और उपहार
प्रभात, हनुमंत से कहता है कि वसुंधरा उसकी बेटी जैसी है और वह वसुंधरा के परिवार को भोज के लिए आमंत्रित करता है। हनुमंत, वसुंधरा से कहता है कि वह तैयार हो जाए और वहाँ से निकल जाए। सावित्री कहती है कि वसुंधरा में यह सब करने की हिम्मत है। वसुंधरा जवाब देती है कि वह यह सब अपने प्रियजनों की खुशी के लिए कर रही है।
संघर्ष और कर्तव्य
बाद में, चंद्रिका, वसुंधरा को एक उपहार देती है, और प्रभात, माधव को एक उपहार देता है। वसुंधरा सोचती है कि एक तरफ वह देवांश के नाम का मंगलसूत्र पहन रही है, लेकिन दूसरी तरफ उसके ससुराल वाले भूखे हैं। यह सोचकर वह असमंजस में पड़ जाती है।
निष्कर्ष
यह कहानी वसुंधरा के संघर्ष और दायित्वों के बीच उसकी उलझन को दर्शाती है। एक तरफ उसकी अपनी भावनाएँ हैं, और दूसरी तरफ उसके परिवार की खुशियाँ। कहानी यह दर्शाती है कि परिवार के लिए किए गए बलिदान और संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाते।